ये कैसी रात है,
ना सोया जा रहा है, ना जागा जा रहा है।
एक क़िस्सा याद आ रहा है,
मानो जैसे एक गलती जो दोबारा कर रही हूँ।
दिन भर पता नहीं एक अजीब सा इंतेज़ार रहता है,
और रात को नहीं रहता, सुकून में बदल जाता है।
“एक और दिन बीता”, कल देखेंगे,
इस बेबसी का मतलब कल ढूँढेंगे।
गाने सुनते हुए, खो जाती हूँ,
किताब के पन्ने पर सो जाती हूँ।
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